Saturday 11 May 2013

मदर्स डे...


नहीं भूलती तुम्हारी कही बातें,
आसमान के नीचे बितायी रातें।
                           
माँ तब जीवन बड़ा सरल था,
तुम्हारे प्यार में कोई न छल था।

तुम्हारा ज्ञान की बातें बताना,
हमारा समझकर नासमझ बन जाना।
                                 
सब्जी देख नाक भों सिकोड़ना,
फिर भूख लगने पर खा भी लेना।

कभी चिल्लाना कभी बात न मानना,
हर बात पे रूठना, तुरंत मान जाना। 
                                 
अब तो रूठे हुए सालों बीत गए हैं,
कौन करे मनुहार कान तरस गए हैं।

बीते दिन ऐसे हमसे दूर हो गए हैं,
कहानी किस्सों से महसूस हो रहे है।
                                 
कुछ ऐसा हो जाये कहीं से कोई आये,
जा कर तुम्हे उस देश से लेकर आये। 

एक बार प्यारा चेहरा देख सकूँ,
माँ हाथ लगाकर मैं तुम्हे छू सकूँ। 
                               
काश ऐसा इक बार हो जाये,
कैसे भी बेटी माँ का स्पर्श पाए। 

जानूं कि उस देश का पता नहीं,
जा पाऊं ऐसा कोई रास्ता नहीं। 
                                 
ये मन माँ को हरपल ढूंढता है,
व्याकुलता में आसमान ताकता है।

कभी किसी सितारे में दिख जाओ,
या फिर चंद्रमा में ही नज़र आओ। 
                                 
माँ बिना तुम्हारे ये जीवन सूना है,
तुम्हारी बेटी का हर दुःख दुगना है।

हर जन्म तुम्हे ही माँ के रूप में पाऊं,
बेटी बन अपना जीवन सफल बनाऊं।
                                 
यही कामना, प्रार्थना मैं दोहराऊं,
सदैव तुम्हारी ही बेटी कहलाऊं।। 




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