Sunday 2 March 2014

Hunger और Hungry..

Hungry तो यहाँ सारे हैं..
कोई power hungry
तो कोई news hungry
किसी को कुर्सी का hunger
तो कोई वोट hungry
किसी को name hunger
तो कोई fame hungry
किसी को पेट का hunger
तो कोई रिश्वत hungry
किसी को शॉपिंग का hunger
तो कोई सैर सपाटा hungry
किसी को प्यार का hunger
तो कोई रिश्तों का hungry
किसी ज्ञान का hunger
तो कोई विज्ञान का hungry
किसी को नौकरी का hunger
तो कोई marks hungry
किसी को followers का hunger
तो कोई चमचागिरी का hungry..



चुनाव की सुगबुगाहट..


शहर में आज बड़ी ही खलबली है,
हर गली-कूचे में झंडियाँ लगी हैं।

टूटी सड़कों की लीपापोती हुई है,
ऊँची इमारते कुछ धुली धुली है।

हैंडपंप की हड़ताल खुल गयी है,
नलकों में पानी की बौछार हुई है।

सरकारी फाइलों की धूल हटी है,
बाबुओं के शरीर में चुस्ती आई है।

शिलान्यासों का दौर चल पड़ा है,
नयी स्कीमों की बाढ़ आन पड़ी है।

टेंट वाले की कुर्सियों की बिक्री हैं,
पान सिगरेट की दुकान में रौनक है।

आज भूखे भिखारी को हलवे के संग,
8-10 पूरी और दो भाजी भी मिली है।

सरपंच की मूछ में नई ताव दिखी है,
एक बार फिर उनकी पूछ जो हुई है।

गाँव भर ने 4 दिन पीटर स्कॉच पी है,
लम्पट छोकरों ने हरी गड्डियां छूई हैं।

पड़ोसी गाँव में सिलाई मशीन पहुंची है,
ट्रंक भर कम्बल,रजाई,मिक्सी आई हैं।

रैलियों के नाम पे नोटों की बरसात हुई है,
गाँव ने मेले जैसी रौनक फिर से देखी है।

नेता के कुर्ते पे बढ़िया कलफ़ चढ़ी है,
जैकेट भी तो काफी साफ सुथरी है।

आयाराम गयाराम की खूब चांदी हुई है,
पार्टियों को टिकटें बेचने की जो छूट है।

एक दूसरे को गालियाँ देने की दौड़ है,
भाषा कितनी अभद्र की मची होड़ है।

झूठे वायदों की मानों झड़ी लगी हुई है,
जनता को मुर्ख बनाने की रेस चल रही है।

लगता है ये चुनाव की सुगबुगाहट है,
तभी तो नेता ने जनता की सुध ली है।