कुदरत की सुन्दरता..
यूँही आज अचानकजो मेरी आँख खुली,
आसमान को एकटक
मैं बस निहारती रही,
सुरमई सूरज के पीछे
बादलों की ओट मिली,
सूरज और बादलों की
आंख मिचोली दिखी,
हवा नन्ही पत्तियों संग
सरगोशियाँ करती मिली,
चिड़ियाँ चहचहाती हुई
उड गई दूसरी गली,
पेड़ पौधे थे दमके हुए
कलियाँ खिली खिली,
रंग बिरंगी तितलियाँ
भंवरों की हंसी ठिठोली,
कुदरत की सुन्दरता
आज से पहले देखने को
क्यूँ मुझे नहीं मिली।
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