रिश्तों का बदरंग रूप...
अपने आस पास, चारों ओर जो देखा,
पढ़े लिखों लोगों का एक मेला मिला,
खुद को माँ कहलाने वाली सास दिखी,
आज के युग में ऐसी इक नार मिली।
इक दिन अगर उसी माँ रूपी सास को लगे
कि उसका होनहार बेटा चाहे कुछ भी करे,
घर से बाहर जाकर वो कोई भी खेल खेले,
सब जायज़ है, उसकी हर गलती माफ़ है।
उस पर रोना धोना शिकायत करना बेकार है,
अपनी माँ के घर लौट जाना अफसोसनाक है,
ससुराल में रहकर पति के अत्याचार सहे,
रिश्ते सही करने का बहु ही सारा प्रयास करे।
बहु तो बस उसे अच्छे कपडे पहनकर रिझाये,
सब्र करे और गूंगी गुडिया बनकर बैठ जाए,
बेटा कही भी जाए लेकिन लौट के घर आये,
तो इससे ज्यादा बहु और कुछ ना चाहे।
पति के सामने वो लड़की घुटने टेके,
कोई सवाल पूछने की हिम्मत न करे,
मार खाकर, अपमान सहकर भी चुप रहे,
परन्तु घर छोड़कर जाने की कोशिश भी ना करे।
शादी की है, सात फेरे लिए हैं, ये याद रखे,
हर वचन को पूरा करने की जिम्मेदारी निभाए,
अपने कन्धों पर लेकर रिश्तों का भार ढोए,
बच्चे पैदा करे, चुपचाप अपनी शादी बचाए।
अपने अनजान ग़म मिटाने के लिए बेटा,
अगर थोडा सा नशा करे तो क्या पाप है?
बहु रानी, युवा पीढ़ी का ये नया तरीका है,
आजकल का यही फैशन और सलीका है।
दुनिया के सामने ढोंग रचे, प्रपंच करे,
अच्छे और सच्चे होने का सास नाटक करे,
बहु का हर कदम पर साथ देने का वादा करे,
लेकिन फिर बेटे के क्रियाकलापों पर पर्दा डाले।
सास यही समझाती ये पुरुषों का समाज है,
पति तेरा परमेश्वर वो तो आदम जात है,
प्यार करे या तिरस्कार करे उसका व्यवहार है,
मुझे गर्व है क्यूंकि ये मेरे ही दिए संस्कार हैं।
ऐसी औरत जात का बोलो क्या हाल हो?
जो धोखा देकर मासूम की ज़िन्दगी खराब करे,
बेटे की हर गलती जान,अनजान बने, फरेब करे,
आप बताएं उस सास के साथ कैसा सलूक हो??