बेसाख्ता..
तेरे घर में जो मिलता था
कभी, वो मेरा प्यार था,
आज तू है, तेरा घर भी है
लेकिन मेरा प्यार कहाँ है?
आँख का आंसू भी
कमाल कर गया,
मेरे आईने को और
धुंधला कर गया।
हर इक आंसू मेरा जो
इस आँख से बहता है,
तु न देखे तो पानी का
बस इक कतरा सा है।
काश कोई तो समझे
कि चुप रहने वालों
की जुबां भी होती है,
उनके सीने में दिल है
जिसमें दर्द भी होता है।
जिनके प्यार की
बरसात में
भीगे थे कभी,
उनके चेहरे
को भी देखे
सदियाँ बीत गयी हैं।
जब से तू बेपरवाह
हुआ है मेरे रिश्ते से,
अपना घर भी अब
मुझे मकान लगता है।
खंडहर को देख कर जो
इमारत का पता लगाते हो,
ज़रा मेरे दिल में झांक कर
टूटे रिश्तों को ही समेट लो।
वो जो सपना हमने
मिल कर देखा था
थोडा तेरा पर बहुत
सारा मेरा भी था।
तेरे घर में जो मिलता था
कभी, वो मेरा प्यार था,
आज तू है, तेरा घर भी है
लेकिन मेरा प्यार कहाँ है?
आँख का आंसू भी
कमाल कर गया,
मेरे आईने को और
धुंधला कर गया।
हर इक आंसू मेरा जो
इस आँख से बहता है,
तु न देखे तो पानी का
बस इक कतरा सा है।
काश कोई तो समझे
कि चुप रहने वालों
की जुबां भी होती है,
उनके सीने में दिल है
जिसमें दर्द भी होता है।
जिनके प्यार की
बरसात में
भीगे थे कभी,
उनके चेहरे
को भी देखे
सदियाँ बीत गयी हैं।
जब से तू बेपरवाह
हुआ है मेरे रिश्ते से,
अपना घर भी अब
मुझे मकान लगता है।
खंडहर को देख कर जो
इमारत का पता लगाते हो,
ज़रा मेरे दिल में झांक कर
टूटे रिश्तों को ही समेट लो।
वो जो सपना हमने
मिल कर देखा था
थोडा तेरा पर बहुत
सारा मेरा भी था।