पडोसी बिना जग सूना ...
अक्सर आपने अपने किसी ना किसी रिश्तेदार या पडोसी को यह कहते तो सुना ही होगा कि "भाई साहब आप ने लड़की के लिए लड़का देखना अब तक शुरू ही नहीं किया?" या फिर "बहनजी लड़के को कोई लड़की पसंद आई की नहीं?" "भई शादियाँ तो हमारे ज़माने में हुआ करती थी, माँ-बाप ने जिससे कहा बस कर ली और ज़िन्दगी भर साथ निभाया। लेकिन आज कल तो गर्ल फ्रेंड/बॉय फ्रेंड का चक्कर ही नहीं ख़तम होता तो शादियाँ क्या ख़ाक होंगी? और हो भी गयी तो टिकती ही कहाँ हैं?"अब ऐसे रिश्तेदार या पडोसी तो सवाल पूछ-पूछ कर आपको बेहोश ही कर देते हैं। मानो सारी दुनिया की चिंता सिर्फ इनको ही है जिसकी वज़ह से ये दुबले-पतले हो रहे हैं और आप तो जी हाथ पे हाथ रखकर बैठे हुए हैं या फिर मजे से स्नूकर खेल रहे हैं। अपने से ज्यादा चिंता तो इन्हें आपके घर की रहती है। इनकी रातों की नींद भी शायद इसी कारण उड़ी रहती है। आपके घर की हर खबर इन्हें होनी चाहिए और शाह जी की फ्री सलाह आपको मान लेनी चाहिए।
चलिए किसी तरह शादी भी हो गयी तो भी इनको कहाँ चैन आने वाला है। मिले नहीं की अगला सवाल तोप के गोल्रे की तरह दाग डालेंगे कि "दो से तीन कब हो रहे हो?" और अगर कही आपने कह दिया कि "अभी हमारी उम्र ही क्या है, पहला बच्चा २ साल बाद होगा" तो बस इनके मुंह का तो जायका ही बिगड़ जाता है। हर बार जब आपसे मिलेंगे तो आपको घूर के देखेंगे या फिर कोई वन-लाइनर ही सुना जायेंगे।
दो साल बाद आपसे इनका वही सवाल होगा "अब तो बहुत मज़े कर लिए। कब तक छड़े बनकर घूमोगे? थोडा परिवार भी बढाओ, खानदान का वारिस भी तो लाओ।" जैसे की आपके खानदान के इकलौते ठेकेदार यही ज़नाब/मोहतरमा हैं। घूमफिर कर इनकी हर बात वहीँ आ पहुंचती है। परिवार-नियोजन के पक्के दुश्मन होंते हैं ऐसे लोग।
लेकिन मुश्किल तो यह है कि इनकी कहानी यहाँ ख़त्म नहीं होती है। आपके यहाँ बच्चा आया नहीं कि इन्होने टपक पड़ना है और फिर वही कहानी-किस्से शुरू "लड़का हुआ है, चलो जी वंश का चिराग आया" लड़की हुई तो "ओह! कोई बात नहीं अगली बार लड़का हो जायेगा।" यानि के अभी पहला वाला न पाला, न संभाला और इनको दूसरे बच्चे की चिंता हो गयी। अब तो जरुर इनका ४-५ किलो वज़न घट जाना है। इनका कथा बांचने का कार्यक्रम तो २४/७ चलता रहता है।
दूसरा बच्चा होगा तो इनका आगमन भी होना जरुरी है। शगुन १०० रूपये देंगे लेकिन आपका लाखों का कीमती समय अपने प्रवचन से चाट जायेंगे। खाना खायेंगे सो अलग। बच्चे के स्कूल की चिंता, लड़की हुई तो लड़के की चिंता, एक के बाद एक और नयी चिंता.. इनका जीवन तो आपकी ही चिंता में चिता पर ही लेटा रहता है। आपके बच्चों के भविष्य का सारा ग्राफ इनका खींचा होता है। डॉक्टर या इंजिनियर सब इनकी मर्ज़ी से बनना चाहिए। वर्ना तो समझो ग़दर हो जायेगा। इनके तानों से आपका दिन शुरू होगा और जली-कटी बातों से रात ढलेगी।
किसकी बेटी किसके साथ मोबाइल पे बात करती है, अगर आपको जानना है तो यही जेम्स बांड के अवतार आपको बताएँगे। कौन कहाँ गया, आया और किसके साथ भागा उसके लिए न्यूज़पेपर किसे चाहिए? इनकी कृपा से हरदम आपका मनोरंजन होता है।
ये पडोसी/रिश्तेदार वैसे देखे तो आपकी डल्ल और बोरिंग ज़िन्दगी को रंगीन बनाते हैं। मसाले का सही मात्रा में इस्तेमाल करना भी यही महान लोग हमें सिखाते है।
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