Wednesday, 20 April 2016


आज में आज़ाद हूँ..
सय्याद ने बहुत कोशिश की,
मेरे पंख कतरने की.. 
लेकिन मैंने भी हार ना मानी, 
ज़िद्द करने ठान ली..
बेशक लंबा इंतज़ार किया, 
जतन किये, नए पंख उगाये..
आज मैं आज़ाद हूँ, 
खुले आसमान में भरी नई उड़ान..
अब किसी में हिम्मत नही,
 जो कोई टोक दे, 
ऊचाईयां छूने से रोक ले।