तुम तो इंसान बनने से रहे...
तुम तो इंसान बनने से रहे,
अब हमें ही लाश बना दो।
जिस गड्ढे को खोदा है तुमने,
उसमे जिंदा हमें ही दफना दो।
लाल खून सफ़ेद नज़र आता है,
अब गंगा का जल पानी बता दो।
अपना घर जलाने की आदत है,
हमारा घर भी शमशान बना दो।
धुंए और आग का शौंक है तुम्हे,
हर जंगल,बियाबान को जला दो।
अकेले रहना तेरी आदत बन गयी,
हर गली कूचे को वीरान बना दो।
रौशनी चुभने लगी आँखों में तेरी,
कयूँ ना सूरज की आग मिटा दो।
इस भीड़ में तेरा अपना नहीं कोई,
तो इस भीड़ में कत्ले आम मचा दो।
कितनी आदत हो गयी तुझे बुराई की,
अब हर अच्छाई को जड़ से कटवा दो।